Varad Ganesh Chaturthi 2024:  शिव योग में मनाई जाएगी सावन वरद चतुर्थी व्रत, जानें मुहूर्त, पूजा विधि और मंत्र (2024)

Varad Ganesh Chaturthi 2024: शिव योग में मनाई जाएगी सावन वरद चतुर्थी व्रत, जानें मुहूर्त, पूजा विधि और मंत्र (1)

वरद चतुर्थी व्रत, जानें मुहूर्त, पूजा विधि और मंत्र - फोटो : myjyotish

खास बातें

Varad Chaturthi 2024: श्रावण माह की चतुर्थी के दिन वरद चतुर्थी का व्रत रखा जाता है। सावन के शुक्ल पक्ष में भगवान गणेश की विधिवत पूजा करने सेGanesh Chaturthi के शुभ फलों की प्राप्ति होगी।

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Varad Chaturthi 2024: श्रावण माह की चतुर्थी के दिन वरद चतुर्थी का व्रत रखा जाता है। सावन के शुक्ल पक्ष में भगवान गणेश की विधिवत पूजा करने सेGanesh Chaturthi के शुभ फलों की प्राप्ति होगी।

Varad Ganesh Chaturthi 2024: इस साल सावन माह के शुक्ल पक्ष के दौरान शिव योग में विनायक चतुर्थी पड़ रही हैं। हिंदू पंचांग में गणेश चतुर्थी का विशेष महत्व है। गणेश चतुर्थी हर माह की कृष्ण और शुक्ल पक्ष की चतुर्थी तिथि को मनाई जाती है। कृष्ण पक्ष की चतुर्थी को संकष्टी चतुर्थी और शुक्ल पक्ष की चतुर्थी को विनायक चतुर्थी के नाम से जाना जाता है।

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शास्त्रों के अनुसार, सावन चतुर्थी के दिन भगवान गणेश की पूजा करने से सभी प्रकार के दुखों से निजात मिल जाती है। इसके साथ ही सुख-समृद्धि, धन-संपदा की प्राप्ति होती है।

वरद चतुर्थी 2024 शुभ मुहूर्त Varad Chaturthi 2024 Muhurat
हिंदू पंचांग के अनुसार सावन मास शुक्ल पक्ष की चतुर्थी तिथि को रखे जाने वाले व्रत को विनायक या वरद चतुर्थी के नाम से जाना जाता है। इस दिन भगवान गणेश की विधिवत पूजा करने का विधान है। सावन चतुर्थी तिथि का विशेष महत्व है, क्योंकि इसी दिन श्री गणेश जी के पिता भगवान महादेव का समय भी होता है।

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शुक्ल पक्ष की चतुर्थी तिथि आरंभ समय - 07 अगस्त 2024 को 22:06
शुक्ल पक्ष की चतुर्थी तिथि समाप्ति समय - 08 अगस्त को 24:37 तक
उत्तराफाल्गुनी नक्षत्र- रात 23:34 तक
अमृतसिद्धि योग- सुबह 6 बजकर 28 मिनट से रात 9 बजे तक
शिव योग - 12:39 तक इसके बाद सिद्ध योग आरंभ होगा।
अभिजित मुहूर्त समय - 12:00 पी एम से 12:53 पी एम
राहुकाल- दोपहर 02 बजकर 06 मिनट से 03 बजकर 46 मिनट तक
चंद्रोदय का समय- सुबह 08:59 को
चन्द्रास्त का समय- रात 09:21 तक

सावन वरद चतुर्थी 2023 पूजा
सावन चतुर्थी के दिन सूर्योदय से पहले उठकर सभी कामों से निवृत्त होकर स्नान कर लेना चाहिए। इसके साथ ही स्वछ वस्त्र धारण करके पूजा स्थल पर एक लकड़ी की चौकी रखर कर उसमें पीला या लाल रंग का कपड़ा बिछाकर भगवान गणेश जी की मूर्ति या तस्वीर स्थापित कर देनी चाहिए। इसके बाद भगवान गणेश की पूजा आरंभ करनी चाहिए, भगवान गणेश को पुष्प, माला, दूर्वा चढ़ाने के बाद सिंदूर, अक्षत अर्पित करना चाहिए। भोग में कुछ मीठा मोदक खिलाना चाहिए। इसके बाद घी का दीपक और धूप जलाकर गणेश जी के मंत्र, चालीसा और मंत्रों का जाप करना चाहिए। आरती करनी चाहिए और फिर पूजा संपन्न करनी चाहिए।

गणेश चालीसा Ganesh Chalisa

॥ दोहा ॥
जय गणपति सदगुण सदन,
कविवर बदन कृपाल ।
विघ्न हरण मंगल करण,
जय जय गिरिजालाल ॥

॥ चौपाई ॥
जय जय जय गणपति गणराजू ।
मंगल भरण करण शुभः काजू ॥

जै गजबदन सदन सुखदाता ।
विश्व विनायका बुद्धि विधाता ॥

वक्र तुण्ड शुची शुण्ड सुहावना ।
तिलक त्रिपुण्ड भाल मन भावन ॥

राजत मणि मुक्तन उर माला ।
स्वर्ण मुकुट शिर नयन विशाला ॥

पुस्तक पाणि कुठार त्रिशूलं ।
मोदक भोग सुगन्धित फूलं ॥

सुन्दर पीताम्बर तन साजित ।
चरण पादुका मुनि मन राजित ॥

धनि शिव सुवन षडानन भ्राता ।
गौरी लालन विश्व-विख्याता ॥

ऋद्धि-सिद्धि तव चंवर सुधारे ।
मुषक वाहन सोहत द्वारे ॥

कहौ जन्म शुभ कथा तुम्हारी ।
अति शुची पावन मंगलकारी ॥

एक समय गिरिराज कुमारी ।
पुत्र हेतु तप कीन्हा भारी ॥

भयो यज्ञ जब पूर्ण अनूपा ।
तब पहुंच्यो तुम धरी द्विज रूपा ॥

अतिथि जानी के गौरी सुखारी ।
बहुविधि सेवा करी तुम्हारी ॥

अति प्रसन्न हवै तुम वर दीन्हा ।
मातु पुत्र हित जो तप कीन्हा ॥

मिलहि पुत्र तुहि, बुद्धि विशाला ।
बिना गर्भ धारण यहि काला ॥

गणनायक गुण ज्ञान निधाना ।
पूजित प्रथम रूप भगवाना ॥

अस कही अन्तर्धान रूप हवै ।
पालना पर बालक स्वरूप हवै ॥

बनि शिशु रुदन जबहिं तुम ठाना ।
लखि मुख सुख नहिं गौरी समाना ॥

सकल मगन, सुखमंगल गावहिं ।
नाभ ते सुरन, सुमन वर्षावहिं ॥

शम्भु, उमा, बहुदान लुटावहिं ।
सुर मुनिजन, सुत देखन आवहिं ॥

लखि अति आनन्द मंगल साजा ।
देखन भी आये शनि राजा ॥ 20 ॥

निज अवगुण गुनि शनि मन माहीं ।
बालक, देखन चाहत नाहीं ॥

गिरिजा कछु मन भेद बढायो ।
उत्सव मोर, न शनि तुही भायो ॥

कहत लगे शनि, मन सकुचाई ।
का करिहौ, शिशु मोहि दिखाई ॥

नहिं विश्वास, उमा उर भयऊ ।
शनि सों बालक देखन कहयऊ ॥

पदतहिं शनि दृग कोण प्रकाशा ।
बालक सिर उड़ि गयो अकाशा ॥

गिरिजा गिरी विकल हवै धरणी ।
सो दुःख दशा गयो नहीं वरणी ॥

हाहाकार मच्यौ कैलाशा ।
शनि कीन्हों लखि सुत को नाशा ॥

तुरत गरुड़ चढ़ि विष्णु सिधायो ।
काटी चक्र सो गज सिर लाये ॥

बालक के धड़ ऊपर धारयो ।
प्राण मन्त्र पढ़ि शंकर डारयो ॥

नाम गणेश शम्भु तब कीन्हे ।
प्रथम पूज्य बुद्धि निधि, वर दीन्हे ॥

बुद्धि परीक्षा जब शिव कीन्हा ।
पृथ्वी कर प्रदक्षिणा लीन्हा ॥

चले षडानन, भरमि भुलाई ।
रचे बैठ तुम बुद्धि उपाई ॥

चरण मातु-पितु के धर लीन्हें ।
तिनके सात प्रदक्षिण कीन्हें ॥

धनि गणेश कही शिव हिये हरषे ।
नभ ते सुरन सुमन बहु बरसे ॥

तुम्हरी महिमा बुद्धि बड़ाई ।
शेष सहसमुख सके न गाई ॥

मैं मतिहीन मलीन दुखारी ।
करहूं कौन विधि विनय तुम्हारी ॥

भजत रामसुन्दर प्रभुदासा ।
जग प्रयाग, ककरा, दुर्वासा ॥

अब प्रभु दया दीना पर कीजै ।
अपनी शक्ति भक्ति कुछ दीजै ॥

॥ दोहा ॥
श्री गणेश यह चालीसा, पाठ करै कर ध्यान ।
नित नव मंगल गृह बसै, लहे जगत सन्मान ॥

सम्बन्ध अपने सहस्त्र दश, ऋषि पंचमी दिनेश ।
पूरण चालीसा भयो, मंगल मूर्ती गणेश ॥

जन्मकुंडली ज्योतिषीय क्षेत्रों में बहुत महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है

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Varad Ganesh Chaturthi 2024:  शिव योग में मनाई जाएगी सावन वरद चतुर्थी व्रत, जानें मुहूर्त, पूजा विधि और मंत्र (2024)

FAQs

गणेश चतुर्थी का व्रत कब शुरू करना चाहिए? ›

इस व्रत को माघ मास से आरंभ करके हर महीने में करें तो संकट का नाश हो जाता है। माघ मास के शुक्ल पक्ष की चतुर्थी को उपवास करके श्रद्धा-भक्तिपूर्वक गणेशजी की पूजा करें और पंचमी को तिल का भोजन करें। इस प्रकार व्रत करने पर मनुष्य निर्विघ्न सुखी जीवन व्यतीत करता है।

गणेश चतुर्थी का व्रत कैसे रखा जाता है? ›

संकष्टी चतुर्थी में व्रत खोलने के लिए चंद्रमा दर्शन और पूजन को जरूरी माना गया है। इस व्रत को चंद्रमा को अर्घ्य देने के बाद पूर्ण माना जाता है। चंद्रोदय के बाद अपनी सुविधा के अनुसार अर्घ्य देकर व्रत का पारण करें और अपनी मनोकामना के लिए पूजा-अर्चना करें। जय गणेश जय गणेश, जय गणेश देवा।

माघ गणेश चतुर्थी कब है 2024? ›

माघ विनायक चतुर्थी 2024 तिथि और शुभ मुहूर्त

हिन्दू पंचांग के अनुसार माघ महीने के शुक्ल पक्ष की चतुर्थी तिथि की शुरुआत 12 फरवरी शाम 5:44 बजे से हो जाएगी और इसका समापन अगले दिन 13 फरवरी को दोपहर 2:41 बजे हो जाएगा. माघ महीने में आज 13 फरवरी को विनायक चतुर्थी का पवित्र पर्व मनाया जा रहा है.

शंकर चतुर्थी व्रत कब है? ›

उदयातिथि के अनुसार, 29 मार्च को संकष्टी चतुर्थी का व्रत रखा जाएगा। शुभ मुहूर्त : अप्रैल 2024 में संकष्टी चतुर्थी की शुरुआत 27 अप्रैल को सुबह 8 बजकर 18 मिनट पर होगी और 28 अप्रैल को सुबह 8 बजकर 28 मिनट पर समाप्त होगी।

गणेश चतुर्थी पर व्रत कब खोलें? ›

गणेश चतुर्थी पर व्रत रखने वालों को दिन की शुरुआत स्नान करके करनी चाहिए। व्रत सुबह से लेकर चंद्रोदय तक चलता है। इस दौरान, प्रतिदिन एक बार सात्विक भोजन करने की सलाह दी जाती है।

2024 में चौथ का व्रत कब है? ›

बहुला चौथ 22 अगस्त 2024 को मनाई जाएगी. इस दिन को बोल चौथ भी कहते हैं. बहुला चौथ का व्रत करने से संतान को खुशहाली, सफलता, संकटों से मुक्ति, समृद्धि प्राप्त होती है. पंचांग के अनुसार भाद्रपद माह की चतुर्थी तिथि की शुरुआत 22 अगस्त 2024, दोपहर 01.46 से होगी और अगले दिन 23 अगस्त 2024 को सुबह 10.38 पर इसका समापन होगा.

गणेश चतुर्थी कितने बजे मनाई जाएगी? ›

गणेश चतुर्थी शुभ मुहूर्त

वैदिक पंचांग के अनुसार, भाद्रपद माह के शुक्ल पक्ष की चतुर्थी तिथि 6 सितंबर को दोपहर 03 बजकर 31 मिनट पर शुरू होगी और अगले दिन यानी 7 सितंबर को संध्याकाल 05 बजकर 37 मिनट पर समाप्त होगी

गणेश चतुर्थी पर चंद्रमा देखने से क्या होगा? ›

गणेश चतुर्थी के दिन चंद्रमा को देखने से चोरी का आरोप लगता है और चंद्रमा को देखने वाले को सामाजिक रूप से अपमानित होना पड़ता है

सकट का व्रत कब का है? ›

पंचांग के अनुसार माघ माह के कृष्ण पक्ष की सकट चतुर्थी तिथि की शुरुआत 29 जनवरी 2024 को सुबह 06 बजकर 10 मिनट होगी। अगले दिन इसका समापन 30 जनवरी 2024 को सुबह 08 बजकर 54 मिनट पर होगा। ऐसे में इस साल सकट चौथ का व्रत 29 जनवरी 2024 को रखा जाएगा।

श्रावण मास की चतुर्थी व्रत कब है? ›

पंचांग के अनुसार, श्रावण मास के शुक्ल पक्ष की चतुर्थी तिथि की शुरुआत 7 अगस्त 2024 दिन बुधवार की रात 10 बजकर 05 मिनट पर होगी. वहीं श्रावण मास के शुक्ल पक्ष की चतुर्थी तिथि की समाप्ति 8 अगस्त 2024 दिन गुरुवार की देर रात 12 बजकर 36 मिनट पर होगी. वहीं उदयातिथि के अनुसार, सावन की विनायक चतुर्थी 8 अगस्त को है.

शिव चतुर्दशी व्रत कब किया जाता है? ›

यदि कोई भक्त विधि-विधानपूर्वक इस दिन शिव जी का पूजन करें तो वह जीवन के समस्त सुखों को भोगकर सांसारिक बंधन से मुक्त हो जाता है। हिन्दू कैलेंडर के अनुसार वर्ष 2024 में वैशाख मास कृष्ण पक्ष का चतुर्दशी व्रत आज यानी 06 मई, दिन सोमवार को रखा जा रहा है

शिवजी का व्रत कब खुलता है? ›

सोमवार का व्रत शाम को कितने बजे खोलना चाहिए? शिव पुराण के अनुसार सोलह सोमवार व्रत की पूजा दिन के तीसरे पहर में यानी कि 4 बजे के आस- पास शुरू करनी चाहिए. सूर्यास्त से पहले पूजन संपूर्ण हो जाना चाहिए. व्रती को पूरे दिन शिव भक्ति कर अगले दिन सूर्योदय के बाद व्रत खोलना उत्तम रहता है.

चतुर्थी में व्रत रखने के क्या नियम हैं? ›

हमें केवल साफ कपड़े पहनने चाहिए और पूजा स्थल को भगवान गणेश की मूर्ति को पूजा की चौकी पर रखकर व्यवस्थित करना चाहिए। हमें चावल, दाल और गेहूं का सेवन करने से बचना चाहिए। हम इस दिन केवल दूध, फल और व्रत की वस्तुओं का सेवन कर सकते हैं । भक्त सकट चौथ पर पूरे दिन या आंशिक दिन का उपवास रख सकते हैं।

क्या हम पीरियड्स के दौरान संकष्टी चतुर्थी कर सकते हैं? ›

हां, वे ऐसा कर सकते हैं । भले ही वे परंपरा का पालन करें और भगवान के कमरे में प्रार्थना या पूजा करने न जाएं, फिर भी वे अपने मन में प्रार्थना कर सकते हैं और उपवास रख सकते हैं। आम तौर पर, एक बार जब आप उपवास शुरू कर देते हैं, तो वे कहते हैं कि इसे रोकना अच्छा नहीं है। इसलिए चाहे आप प्रार्थना करें या न करें, उपवास किया जा सकता है।

भगवान गणेश के लिए कौन सा दिन सबसे अच्छा है? ›

गणेश से जुड़े त्यौहार हैं भाद्रपद (अगस्त/सितंबर) माह के शुक्लपक्ष (चन्द्रमा का चौथा दिन) में गणेश चतुर्थी या विनायक चतुर्थी तथा माघ माह के शुक्लपक्ष (चन्द्रमा का चौथा दिन) की चतुर्थी को मनाई जाने वाली गणेश जयंती (गणेश का जन्मदिन)।

क्या हम शाम को गणेश चतुर्थी पूजा कर सकते हैं? ›

घर पर उत्सव मनाने के लिए, कोई भी व्यक्ति भगवान गणेश की मिट्टी की मूर्ति खरीदकर इसकी सुबह और शाम दोनों समय पूजा कर सकता है। मूर्ति को घर लाने से पहले पूरे घर को साफ करने की प्रथा है, और पूरा परिवार भगवान का स्वागत करने के लिए इकट्ठा होता है।

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Author: Corie Satterfield

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